Daily Readings

Mass Readings for
02 - Dec- 2025
Tuesday, December 2, 2025
Liturgical Year A, Cycle II
Tuesday of the First week of Advent

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 11:1-10
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 72:1, 7-8, 12-13, 17
सुसमाचार : सन्त लूकस 10:21-24

माता मरियम की माला विनती: दु:ख के पाँच भेद


आगमन का पहला सप्ताह, मंगलवार

पहला पाठ: इसायाह का ग्रन्थ 11:1-10
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 72:1, 7-8, 12-13, 17
सुसमाचार: सन्त लूकस 10:21-24

First Reading
इसायाह का ग्रन्थ 11:1-10
“प्रभु का आत्मा उस पर छाया रहेगा”।

येस्से के धड़ से एक टहनी निकलेगी, उसकी जड़ से एक अंकुर फूटेगा। प्रभु का आत्मा उस पर छाया रहेगा, प्रज्ञा तथा बुद्धि का आत्मा, सुमति तथा धैर्य का आत्मा, ज्ञान तथा ईश्वर-भक्ति का आत्मा। वह प्रभु पर श्रद्धा रखेगा। वह न तो जैसे-तैसे न्याय करेगा और न सुनी-सुनायी के अनुसार निर्णय देगा। वह न्यायपूर्वक दीन-दु:खियों के मामलों पर विचार करेगा और निष्पक्ष हो कर देश के दरिद्रों को न्याय दिलायेगा। वह अपने शब्दों के डण्डे से अत्याचारियों को मारेगा और अपने निर्णयों से कुकर्मियों का विनाश करेगा। वह न्याय को वस्त्र की तरह पहन लेगा और सच्चाई को कमरबन्द की तरह धारण करेगा। तब भेडिया मेमने के साथ रहेगा, चीता बकरी की बगल में लेट जायेगा, बछड़ा तथा सिंह-शावक साथ-साथ चरेंगे और बालक उन्हें हाँक कर ले चलेगा। गाय और रीछ में मेल-मिलाप होगा और उनके बच्चे साथ-साथ रहेंगे। सिंह बैल की तरह भूसा खायेगा। दूधमुँहा बच्चा नाग के बिल के पास खेलता रहेगा और बालक करैत की बाँबी में हाथ डालेगा। समस्त पवित्र पर्वत पर कोई भी न तो बुराई करेगा और न किसी की हानि; क्योंकि जिस तरह समुद्र जल से भरा है, उसी तरह देश प्रभु के ज्ञान से भरा होगा। उस दिन, येस्से की सन्तति राष्ट्रों के लिए एक चिह्न बन जायेगी। सभी लोग उसके पास आयेंगे और उसका निवास महिमामय होगा।

प्रभु की वाणी है।

Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 72:1, 7-8, 12-13, 17
अनुवाक्य : उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी।

हे ईश्वर ! राजा को अपना न्याय-अधिकार, राजपुत्र को अपनी न्यायप्रियता प्रदान कर, जिससे वह तेरी प्रजा का न्यायपूर्वक शासन करें और पददलितों की रक्षा करें।
अनुवाक्य : उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी।

उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी। उनका राज्य एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक, पृथ्वी के सीमान्तों तक फैल जायेगा।
अनुवाक्य : उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी।

वह दुहाई देने वाले दरिद्रों और पद्दलितों की रक्षा करेंगे, वह निस्सहाय और दरिद्र पर तरस खा कर पद्दलितों के प्राण बचायेंगे।
अनुवाक्य : उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी।

उनका नाम सदा-सर्वदा धन्य हो और सूर्य की तरह बना रहे। वह पृथ्वी के सब निवासियों का कल्याण करेंगे और समस्त राष्ट्र उन्हें धन्य कहेंगे।
अनुवाक्य : उनके राज्यकाल में न्याय फलेगा-फूलेगा और अपार शांति सदा-सर्वदा छायी रहेगी।

Gospel
सन्त लूकस 10:21-24
“येसु पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर आनन्दित हो उठे। ”

येसु ने पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो कर आनन्द के आवेश में कहा, “हे पिता ! हे स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु ! मैं तेरी स्तुति करता हूँ, क्योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा कर निरे बच्चों के लिए प्रकट किया है। हाँ, पिता यही तुझे अच्छा लगा। मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है। पिता को छोड़ कर यह कोई भी नहीं जानता कि पुत्र कौन है और पुत्र को छोड़कर यह कोई भी नहीं जानता कि पिता कौन है। केवल वही जानता है जिसके लिए पुत्र उसे प्रकट करने की कृपा करे। तब उन्होंने अपने शिष्यों की ओर मुड़ कर एकांत में उन से कहा, “धन्य हैं वे आँखें, जो यह सब देखती हैं जिसे तुम देखते हो ! क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ - तुम जो बातें देख रहे हो, उन्हें कितने ही नबी और राजा देखना चाहते थे, परन्तु उन्होंने उनको देखा नहीं और जो बातें तुम सुन रहे हो, वे उनको सुनना चाहते थे, परन्तु उन्होंने उनको सुना नहीं। ''


प्रभु का सुसमाचार।