Daily Readings

Mass Readings for
28 - Dec- 2025
Sunday, December 28, 2025
Liturgical Year A, Cycle II

The Holy Family - Feast

दैनिक पाठ:
पहला पाठ: प्रवक्ता-ग्रन्थ 3:2-6, 12-14
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 128:1-2, 3, 4-5
दूसरा पाठ: Colossians 3:12-21
सुसमाचार : सन्त मत्ती 2:13-15, 19-23

माता मरियम की माला विनती: आनन्द के पाँच भेद


पवित्र परिवार का पर्व - वर्ष A

पहला पाठ: प्रवक्ता-ग्रन्थ 3:2-6, 12-14
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 128:1-2, 3, 4-5
दूसरा पाठ: कलोसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:12-21
सुसमाचार: सन्त मत्ती 2:13-15, 19-23

First Reading
प्रवक्ता-ग्रन्थ 3:2-6, 12-14
"प्रभु पर श्रद्धा रखने वाला अपने माता-पिता का आदर करता है।"

प्रभु का आदेश है कि सन्तान अपने पिता का आदर करे; उसने माता को अपने बच्चों पर अधिकार दिया है। जो अपने पिता पर श्रद्धा रखता है, वह अपने पापों का प्रायश्चित्त करता है और जो अपनी माता का आदर करता है, वह मानो धन का संचय करता है। जो अपने पिता का सम्मान करता है, उसे अपनी ही सन्तान से सुख मिलेगा और जब वह प्रार्थना करता है, तो ईश्वर उसकी सुन लेगा। जो अपने पिता का आदर करता है, वह दीर्घायु होगा। जो अपनी माता को सुख देता है, वह प्रभु का आज्ञाकारी है। पुत्र ! अपने बूढ़े पिता की सेवा करो, जब तक वह जीता रहता है, उसे उदास मत करो। यदि उसका मन दुर्बल हो जाये, तो उस से सहानुभूति रखो। अपने स्वास्थ्य की उमंग में उसका अनादर मत करो। क्योंकि पिता की सेवा-शुश्रूषा नहीं भुलायी जायेगी, वह तुम्हारे पापों का प्रायश्चित्त समझी जायगी।

प्रभु की वाणी।

Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 128:1-2, 3, 4-5
अनुवाक्य : धन्य हैं वे सब, जो प्रभु पर श्रद्धा रखते हैं और उसके मार्ग पर चलते हैं।

धन्य हो तुम, जो प्रभु पर श्रद्धा रखते हो और उसके मार्ग पर चलते हो। तुम अपने हाथ की कमाई से सुखपूर्वक जीवन बताओगे।
अनुवाक्य : धन्य हैं वे सब, जो प्रभु पर श्रद्धा रखते हैं और उसके मार्ग पर चलते हैं।

तुम्हारी पत्नी तुम्हारे घर के आँगन में दाखलता की भाँति फलेगी - फूलेगी। तुम्हारी सन्तान जैतून की टहनियों की भाँति तुम्हारे, चौके की शोभा बढ़ायेगी।
अनुवाक्य : धन्य हैं वे सब, जो प्रभु पर श्रद्धा रखते हैं और उसके मार्ग पर चलते हैं।

जो ईश्वर पर भरोसा रखता है, उसे वही आशिष प्राप्त होगी। ईश्वर सियोन पर्वत पर से तुम्हें आशीर्वाद प्रदान
करे, जिससे तुम जीवन-भर येरुसालेम का कुशल-मंगल देख पाओ।
अनुवाक्य : धन्य हैं वे सब, जो प्रभु पर श्रद्धा रखते हैं और उसके मार्ग पर चलते हैं।

Second Reading
कलोसियों के नाम सन्त पौलुस का पत्र 3:12-21
"प्रभु की इच्छा के अनुसार घरेलू जीवन।"
आप लोग ईश्वर की पवित्र एवं परमप्रिय चुनी हुई प्रजा हैं। इसलिए आप लोगों को अनुकम्पा, सहानुभूति, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता को धारण कर लेना चाहिए। आप एक दूसरे को सहन करें और यदि किसी को किसी से कोई शिकायत हो, तो एक दूसरे को क्षमा करें। प्रभु ने आप लोगों को क्षमा कर दिया है; आप लोग भी ऐसा ही करें। इसके अतिरिक्त आपस में प्रेम-भाव बनाये रखें। वह सब कुछ एकता में बाँध कर पूर्णता तक पहुँचा देता है। मसीह की शांति आपके हृदयों में राज्य करे। इसी शांति के लिए आप लोग, एक शरीर के अंग बन कर बुलाये गये हैं। आप लोग कृतज्ञ बने रहें। मसीह की शिक्षा अपनी परिपूर्णता में आप लोगों में निवास करे। आप बड़ी समझदारी से एक दूसरे को शिक्षा और उपदेश दिया करें। आप कृतज्ञतापूर्ण हृदय से ईश्वर के आदर में भजन, स्तोत्र और आध्यात्मिक गीत गाया करें। आप जो कुछ भी कहें या करें, वह सब प्रभु येसु के नाम पर किया करें। उन्हीं के द्वारा आप लोग पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते रहें। जैसा कि प्रभु भक्तों के लिए उचित है, पत्नियाँ अपने पतियों के अधीन रहें। पति अपनी पत्नियों को प्यार करें और उसके साथ कठोर व्यवहार नहीं करें। बच्चे सभी बातों में अपने माता-पिता की आज्ञा मानें, क्योंकि प्रभु इस से प्रसन्न होता है। पिता अपने बच्चों को खिझाया नहीं करें; कहीं ऐसा न हो कि उनका दिल टूट जाये।

प्रभु की वाणी।

Gospel
सन्त मत्ती 2:13-15, 19-23
"मिस्र में पवित्र परिवार।"

ज्योतिषियों के जाने के बाद प्रभु का दूत यूसुफ़ को स्वप्न में दिखाई दिया और बोला, "उठिए ! बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को भाग जाइए। जब तक मैं आप से न कहूँ, वहीं रहिए; क्योंकि हेरोद मरवा डालने के लिए बालक को ढूँढ़ने वाला है"। यूसुफ़ उठा और उसी रात बालक और उसकी माता को ले कर मिस्र देश चल दिया। वह हेरोद के मरने तक वहीं रहा जिससे नबी के मुख से जो प्रभु ने कहा था, वह पूरा हो जाये - "मित्र देश से मैंने अपने पुत्र को बुलाया। " हेरोद के मरने के बाद प्रभु का दूत मिस्र देश में यूसुफ़ को स्वप्न में दिखाई दिया और उसने उस से कहा, "उठिए ! बालक और उसकी माता को ले कर इस्राएल देश चले जाइए, क्योंकि जो बालक के प्राण लेना चाहते थे, वे मर गये हैं"। यूसुफ़ उठा और बालक तथा उसकी माता को ले कर इस्राएल देश चला आया। उसने यह सुना कि अरखेलौस अपने पिता के स्थान पर यहूदिया में राज्य करता है; इसलिए वह वहाँ जाने से डर गया और स्वप्न में चेतावनी पा कर गलीलिया चला गया। वहाँ वह नाजरेत नामक नगर में जा बसा; इस प्रकार नबियों का यह कथन पूरा हुआ "यह नाज़री कहलायेगा "।

प्रभु का सुसमाचार।