Daily Readings
Liturgical Year A, Cycle II
(Friday of Christmas Week)
Saint Stephen, first martyr - Feast
दैनिक पाठ:
पहला पाठ: प्रेरित-चरित 6:8-10; 7:54-59
स्तोत्र: स्तोत्र ग्रन्थ 31:3-4, 6, 7, 8, 17, 21
सुसमाचार : सन्त मत्ती 10:17-22
माता मरियम की माला विनती: दु:ख के पाँच भेद
Daily Readings
सन्त स्तेफ़नुस, प्रथम शहीद – पर्व
पहला पाठ: प्रेरित-चरित 6:8-10; 7:54-59
भंजन: स्तोत्र ग्रन्थ 31:3-4, 6, 7, 8, 17, 21
सुसमाचार: सन्त मत्ती 10:17-22
First Reading
प्रेरित-चरित 6:8-10; 7:54-59
“मैं स्वर्ग को खुला देख रहा हूँ।"
स्तेफ़नुस अनुग्रह तथा सामर्थ्य से परिपूर्ण हो कर जनता के सामने बहुत-से चमत्कार तथा चिह्न दिखाता था। तब 'दास्यमुक्त' नामक सभागृह के कुछ सदस्य और किरीन, सिकन्दरिया, सिलिसिया और एशिया के कुछ लोग आ कर स्तेफ़नुस से विवाद करने लगे। किन्तु वे स्तेफ़नुस के ज्ञान का सामना करने में असमर्थ थे, क्योंकि वह आत्मा से प्रेरित हो कर बोलता था। वे स्तेफ़नुस की बातें सुन कर आगबबूला हो गये और दाँत पीसने लगे। स्तेफ़नुस ने, पवित्र आत्मा से पूर्ण हो कर, स्वर्ग की ओर दृष्टि लगायी और ईश्वर की महिमा को तथा ईश्वर के दाहिने विराजमान येसु को देखा। वह बोल उठा, "मैं स्वर्ग को खुला और ईश्वर के दाहिने विराजमान येसु को देख रहा हूँ।" इस पर उन्होंने ऊँचे स्वर से चिल्ला कर अपने कान बन्द कर लिये। वे सब मिल कर उस पर टूट पड़े और उसे शहर के बाहर निकाल कर उस पर पत्थर मारने लगे। गवाहों ने अपने कपड़े साऊल नामक नवयुवक के पैरों पर रख दिये। जब लोग स्तेफ़नुस पर पत्थर मारते थे, तो उसने यह प्रार्थना की, "हे प्रभु येसु! मेरी आत्मा को ग्रहण कर।" तब वह घुटने टेक कर ऊँचे स्वर से बोला, "हे प्रभु! यह पाप इन पर मत लगा।" और यह कह कर उसने प्राण त्याग दिये। साऊल इस हत्या का समर्थन करता था।
प्रभु की वाणी।
Responsorial Psalm
स्तोत्र ग्रन्थ 31:3-4, 6, 7, 8, 17, 21
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ।
तू मेरे लिए आश्रय की चट्टान और रक्षा का शक्तिशाली गढ़ बन जा, क्योंकि तू ही मेरी चट्टान है और मेरा गढ़। अपने नाम के हेतु तू मेरा पथप्रदर्शन कर।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ।
मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ। हे प्रभु ! तू ही मेरा उद्धार करेगा। प्रभु पर ही मेरा भरोसा है। तेरा प्रेम मुझे मिले और मैं आनन्दित हो उदूँगा।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ।
अपने सेवक पर दयादृष्टि कर। तू दयासागर है, मुझे बचाने की कृपा कर। जो तुझ पर भरोसा रखते हैं, तू मनुष्यों के षड्यन्त्रों से उनकी रक्षा करता है।
अनुवाक्य : हे प्रभु ! मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंप देता हूँ।
Gospel
सन्त मत्ती 10:17-22
"बोलने वाले तुम नहीं हो, बल्कि पिता का आत्मा, जो तुम्हारे द्वारा बोलता है।"
येसु ने अपने प्रेरितों से कहा, "मनुष्यों से सावधान रहो। वे तुम्हें अदालतों के हवाले कर देंगे और अपने सभागृहों में तुम्हें कोड़े लगायेंगे; तुम मेरे कारण शासकों और राजाओं के सामने पेश किये जाओगे, जिससे मेरे विषय में तुम उन्हें और गैर-यहूदियों को साक्ष्य दे सको। जब वे तुम्हें अदालत के हवाले कर रहे हैं तो यह चिन्ता मत करो कि हम कैसे बोलेंगे और क्या कहेंगे। समय आने पर तुम्हें कहने के लिए शब्द दिये जायेंगे क्योंकि बोलने वाले तुम नहीं हो, बल्कि पिता का आत्मा है, जो तुम्हारे द्वारा बोलता है। भाई अपने भाई को मृत्यु के हवाले कर देगा और पिता अपने पुत्र को; सन्तान अपने माता-पिता के विरुद्ध उठ खड़ी होगी और उन्हें मरवा डालेगी। मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे, किन्तु जो अन्त तक धीरज धरेगा, उसे मुक्ति मिलेगी।"
प्रभु का सुसमाचार।